Saturday, 6 May 2017

Recep Tayyip Erdogan

इंसाफ पसंद लोगों की पहली पसंद : रजब तईब इरदुगान


तुर्की के ऐतिहासिक शहर इस्तांबुल  में जन्मे रजब तईब इरदुगान की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत मदरसे से हुई।  उनके पिता फल विक्रेता थे और उनकी स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने लड़के को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाते। कभी कभी तो घर के हालात ऐसे हो जाते कि खाने के नाम पर खरबूजे के साथ रोटी खानी पड़ती। धीरे धीरे समय बीतता गया और तईब इरदुगान ने 1937 में उसी मदरसे से अपनी पढ़ाई पूरी की और तुर्की के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र एवं प्रशासनिक विज्ञान में मास्टर किया।

      मुस्तफा कमाल पाशा ने तुर्की में सेकुलरिज्म के नाम पर जो क़ानून बनाया वह बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सेकुलरिज्म से बिलकुल भिन्न था। हमारे देश में सेकुलरिज्म के नाम पर हर तरह की आज़ादी है धार्मिक स्वतंत्रता है लेकिन तुर्की में स्वतंत्रता के नाम पर इस्लामिक कल्चर पर पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी गई हिजाब नक़ाब पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया। अरबी पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई। इसी माहौल में रजब तईब इरदुगान पहली बार 1994 में वेलफेयर पार्टी में रहकर इस्तांबुल के मेयर बनते हैं और 1998 तक मेयर के पद पर रहते हैं। मेयर के तौर पर अपनी ईमानदारी, विकास के कामो की बदौलत तरक़्क़ी हासिल करते हुए 2003 में तुर्की के प्रधानमंत्री बनते हैं। 2014 में 51.79 %  वोटों के साथ तुर्की की जनता उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी पर बिठा देती है। अप्रैल में रजब तईब इरदुगान ने देश की संसदीय कार्य प्रणाली को कार्यकारी अध्यक्ष पद से बदलने के लिए जनमत संग्रह करवाया जिसमे उन्हें अपार सफलता  हुई। इसके तहत तुर्की का राष्ट्रपति राज्य प्रमुख के साथ साथ सरकार प्रमुख भी हो जाएगा। सरकार प्रमुख के रूप मे प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया जाएगा। इससे राष्ट्रपति की शक्ति और बढ़ जाएगी। राष्ट्रपति और संसद का चुनाव एक ही दिन पांच साल की अवधि के लिए होगा।
        इरदुगान 30 अप्रैल को भारत दौरे पर  आये थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  द्विपक्षीय वार्ता में उन्होंने आतंकवाद, व्यापार में सहयोग, एन.एस.जी में सदस्यता, व्यापर में सहयोग इत्यादि गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने भारत आने से पहले कश्मीर मुद्दे पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा था कि कश्मीर घाटी में हिंसा रुकनी चाहिए।
       अब ये  देखना दिलचस्प होगा कि इरदुगान राष्ट्रपति के रूप में तुर्की को विकास की किस दिशा में ले जाते हैं। एक ऐसे समय में जब तमाम इस्लाम पसंदों की उम्मीद उनसे जुड़ी हुई है। अब तक के  तेवर ने चाहे इस्राइल के खिलाफ हो या अमेरिका के... उन्होंने यही साबित करने की कोशिश की है कि वह इस्लाम के हिमायती हैं।  

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