सुशासन के नाम पर कुशासन
गुंडाराज पर सपा सरकार को घेरने वाली बीजेपी उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद खुद गुंडागर्दी ख़त्म करने में नाकाम साबित हो रही है। सरकार बने अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन ही हुए हैं कि सत्ता पक्ष और खाकी में संघर्ष शुरू हो गया है।
कुछ समय पहले सहारनपुर के एसएसपी लव कुमार ने आरोप लगाया था कि सांसद राघव लखनपाल समेत सैकड़ों लोगों ने उनके घर पर पत्थरबाज़ी की थी। हालाँकि सांसद महोदय ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि लव कुमार पिछली सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि एसएसपी सहारनपुर के पद से उन्हें हटा दिया गया।
मेरठ में बीजेपी नेता संजय त्यागी पुलिस से भिड़ गए जब उनके बेटे की गाड़ी से हूटर हटवाया जाने लगा। उसके बाद तो हद ही हो गई उन्होंने बेटे को थाने से छुड़ाने के ;लिए जमकर हंगामा किया। नतीजा ये हुआ की बेटे को छोड़ दिया गया और पुलिस अधिकारी को हटा दिया गया।
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद ऐसी तमाम घटनाएं लगातार देखने सुनने को मिल रहीं हैं। हाल ही की प्रचलित घटना गोरखपुर की है जहाँ बीजेपी के कद्दावर नेता और स्थानीय विधायक राधा मोहन अग्रवाल ने आईपीएस अधिकारी और गोरखनाथ क्षेत्र की क्षेत्राधिकारी चारु निगम के साथ ऐसी बदसलूकी की कि उनके आंख से आंसू आ गए।
इस प्रकार की घटनाएं कोई नई नहीं है पहले भी सत्ता पक्ष की गुंडागर्दी हम देखते सुनते रहे हैं बस फ़र्क़ इतना है कि चेहरे बदल गए हैं। जिन लोगों ने कुशासन गिना कर सुशासन के नाम पर वोट माँगा था सत्ता में आते ही वो भी पुराने ढर्रे पर चलने लगें। करे भी तो क्या ये सत्ता का लोभ है ही ऐसी चीज़ हालांकि मुख्यमंत्री की अपने विधायकों और समर्थकों से बार बार यही अपील रही है कि 'जोश में होश न खोयें' फिर भी कार्यकर्त्ता उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जो व्यक्ति अपने समर्थकों को नहीं संभाल पा रहा है वो प्रदेश के लिए चुनौती बने क़ानून वयवस्था को कैसे ठीक करेगा?? हालाँकि उनके सख्त तेवर हमेशा यही दर्शाते रहे हैं कि वो प्रदेश में सुशासन ही लाना चाहते हैं लेकिन उनके तेवर और पार्टी कार्यकर्ताओं की सोच में तालमेल बिलकुल नहीं दिखाई देता। समय रहते मुख्यमंत्री को इसे सही करना होगा वरना पिछली सरकारों का उन्होंने हश्र देखा ही है।
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