Saturday, 11 March 2017

assembly election

 पांच राज्यों के चुनावी नतीजे बिल्कुल ऐतिहासिक रहे । देश के सबसे  बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तो चालीस  बाद कोई गठबंधन सवा तीन सौ के आंकड़े तक पहुँच पाया है.    उत्तराखंड में तो बीजेपी को उम्मीद भी नहीं थी के उसे कामयाबी मिलेगी लेकिन मोदी मैजिक के आगे मुख्यमंत्री हरीश रावत भी नहीं टिक पाए। पंजाब में ज़रूर जनता ने कांग्रेस को सिर आँखों पर बैठा लिया हालाँकि वहां भी आम आदमी  पार्टी उम्मीद लगाये  बैठी थी के सरकार उसी की बननी है। 
           मतों की गिनती शुरू होते ही  ये साफ़ हो गया था  कि गोवा और मणिपुर को छोड़कर बाकि तीनो राज्यों में जनता के मन में कोई संशय नहीं था. लेकिन इन नतीजो ने ये भी साफ़ कर दिया है के  आधुनिक काल में भी जनता को साम्प्रदायिक राजनीति ही भा  रही है तभी तो उत्तर प्रदेश के फतेहपुर की सभी सीटों पर बीजेपी का वर्चस्व रहा है ये वही स्थान है जहाँ पे प्रधानमंत्री ने शमशान वाला बयान देकर काफी चर्चा बटोरी थी. गठबंधन के बावजूद कांग्रेस पहले से भी नीचे लुढ़क गई है. बसपा इस स्तिथि में आ गई की अब उसे राज्यसभा में एक भी सीट नई मिलेगी। अपने काम के बल पर जीत का दावा करने वाले अखिलेश को भी यूपी की जनता ने रिजेक्ट कर ये बता दिया के उसपर मोदी मैजिक ज़्यादा हावी है। अब समय आ गया है के सभी पार्टिया ई वी एम पर अपनी हार का ठीकरा न फोड़ कर अपनी कमियों एवं गलतियों को सुधारने की कोशिश करे और साथ ही बेहतरीन रणनीति बनाने का हुनर बीजेपी से सीखें।            
              

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