इंसानियत
आज आयुष के पिता का गुस्सा आसमान छू रहा था। सुबह-सुबह वे उस पर चिल्ला रहे थे-समझता नहीं नालायक, आइंदा उनके यहां गया तो ठीक नहीं होगा। पिता के गुस्से से आयुष भीतर तक डर गया था। पति को इतना जोर से चिल्लाता देख आयुष की मां बीच में ही बोली-क्यों, क्या बात है सुबह-सुबह क्या हाय-तौबा मचा रखी है आपने?
'वह खूसट रहीम के बच्चे के साथ खेलने लगा है तुम्हारा लाडला। क्या इसे वही मिला है दोस्त बनाने को, कॉलोनी में और भी भले परिवारों के बालक हैं। लाख बार बता चुका हूं कि रहीम दूसरे धर्म का है। उनलोगों से मेल जोल रखना अच्छी बात नहीं क्या पता आतंकवादी हों। ' आयुष के पिता अब भी गुस्से में थे। यह सुनकर तो आयुष की मां भी चुप हो गई और आयुष के पास जाकर धीरे से बोली-हां बच्चे, वे लोग गंदे हैं। उनके पास नहीं खेला करते। तुम अच्छे बच्चे हो न। मां की इस चेतावनी ने आयुष को और भी चुप कर डरा दिया।
'वह खूसट रहीम के बच्चे के साथ खेलने लगा है तुम्हारा लाडला। क्या इसे वही मिला है दोस्त बनाने को, कॉलोनी में और भी भले परिवारों के बालक हैं। लाख बार बता चुका हूं कि रहीम दूसरे धर्म का है। उनलोगों से मेल जोल रखना अच्छी बात नहीं क्या पता आतंकवादी हों। ' आयुष के पिता अब भी गुस्से में थे। यह सुनकर तो आयुष की मां भी चुप हो गई और आयुष के पास जाकर धीरे से बोली-हां बच्चे, वे लोग गंदे हैं। उनके पास नहीं खेला करते। तुम अच्छे बच्चे हो न। मां की इस चेतावनी ने आयुष को और भी चुप कर डरा दिया।
एक दिन रहीम का बेटा दौड़ा-दौड़ा आया और आयुष के घर के बाहर खड़ा होकर चीखकर बोला-बाबूजी, बाबूजी! आयुष का ऐक्सीडेंट हो गया। वह अभी स्कूल से लौट रहा था कि रास्ते में लॉरी वाला टक्कर मार कर उसे गिरा कर भाग गया। आयुष के पिता यह सुनते ही बाहर की ओर लपक कर आए और बोले-कहां है मेरा आयुष?
घबराइए नहीं बाबूजी, मैं उसे अस्पताल में भर्ती करा कर आपसे कहने आया हूं। डॉक्टर ने कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन फिर भी आप जल्दी चलिए। रहीम का बच्चा बोला।आयुष के माता-पिता दोनों रहीम के बच्चे के साथ अस्पताल की ओर दौड़े। अस्पताल पहुंचे तो देखा आयुष को खून चढ़ रहा था, वह अभी तक बेहोशी की स्थिति में था। माता-पिता उसकी यह दशा देखकर बहुत ही चिंता में थे, इस बीच वे बार-बार रहीम के बच्चे से जो उन्हीं के पास गुमसुम दुखी उदास सा खड़ा था, एक्सीडेंट के बारे में तरह-तरह के सवाल पूछ कर अपने मन हो धीरज दे रहे थे।
घबराइए नहीं बाबूजी, मैं उसे अस्पताल में भर्ती करा कर आपसे कहने आया हूं। डॉक्टर ने कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन फिर भी आप जल्दी चलिए। रहीम का बच्चा बोला।आयुष के माता-पिता दोनों रहीम के बच्चे के साथ अस्पताल की ओर दौड़े। अस्पताल पहुंचे तो देखा आयुष को खून चढ़ रहा था, वह अभी तक बेहोशी की स्थिति में था। माता-पिता उसकी यह दशा देखकर बहुत ही चिंता में थे, इस बीच वे बार-बार रहीम के बच्चे से जो उन्हीं के पास गुमसुम दुखी उदास सा खड़ा था, एक्सीडेंट के बारे में तरह-तरह के सवाल पूछ कर अपने मन हो धीरज दे रहे थे।
कुछ देर बाद रहीम को होश आया और वह मां-मां बोला। मां ने भाग कर उसे सीने से लगा लिया। लेकिन मां ने देखा कि आयुष की आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उसकी यह दशा देखकर मां की आंखों से भी आंसू बहने लगे और वह आयुष से बोली-क्या बात है आयुष ! तुम रो क्यों रहे हो ? क्या कहीं दर्द ज्यादा है ?
हां मां दिल में दर्द है। सच मुझे रहीम काका के अमन ने बचा लिया।माता-पिता दोनों ने आयुष से नजरें चुरा लीं। पर आयुष फिर आगे बोला-आप तो कहते थे मैं उसके साथ नहीं रहूं, लेकिन मेरा सच्चा दोस्त तो वही है। मैंने उस दिन से उससे बोलना बंद कर दिया था। लेकिन अब मैं फिर उससे बोलूंगा, अमन को बुला दो मां। यह कह कर आयुष फिर रोने लगा।
हां मां दिल में दर्द है। सच मुझे रहीम काका के अमन ने बचा लिया।माता-पिता दोनों ने आयुष से नजरें चुरा लीं। पर आयुष फिर आगे बोला-आप तो कहते थे मैं उसके साथ नहीं रहूं, लेकिन मेरा सच्चा दोस्त तो वही है। मैंने उस दिन से उससे बोलना बंद कर दिया था। लेकिन अब मैं फिर उससे बोलूंगा, अमन को बुला दो मां। यह कह कर आयुष फिर रोने लगा।
माता-पिता ने पास खड़े अमन को अपने पास बुलाया और दुलार देकर आयुष के पास खड़ा किया। आयुष हंस भी रहा था और रो भी रहा था। उसकी इस स्थिति को देखकर अमन भी अपने दिल को नहीं रोक पाया और उसकी भी दोनों आंखें खुशी और दुख से भर आई। पास खड़े आयुष के माता-पिता की आंखों से आंसू बहा जा रहा था। आज उनकी आंखें खुल गई कि धर्म जाति कुछ नहीं होती, सबसे बढ़कर इंसानियत है।सारे इंसान एक सामान हैं और इंसान ही इंसान के काम आता है।

बिलकुल सही। मोटिवेशनल स्टोरी।
ReplyDeleteबिलकुल सही। मोटिवेशनल स्टोरी।
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