poetry




  
माँ है रेशम के कारखाने में, 
बाप मसरूफ सूती मिल में,
कोख से माँ की जब से निकला है,
बच्चा खोली के काले दिल में


जब यहाँ से निकल के जाएगा,
कारखानों के काम आएगा। 
अपने मजबूर पेट की खातिर,
भूख सरमाये की बढ़ाएगा। 

हाथ सोने के फूल उगलेंगे, 
जिस्म चांदी का धन लुटाएगा। 
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रोशन,
खून उसका दिए जलाएगा। 

ये जो नन्हा है भोला भाला है,
सिर्फ सरमाये का निवाला है,
पूछती है ये उसकी ख़ामोशी,
कोई मुझको बचाने वाला है?

-अली सरदार जाफ़री 

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