Tuesday, 7 March 2017

Internatinol women day

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस , केवल औपचारिकता 

प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस लगभग पूरी दुनिया में  मनाया जाता है। यह महिलाओ के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार का प्रतीक है और एक उत्सव की तरह मनाया जाता है इसकी शुरुआत 1914 से हुई। 8  मार्च 1914 को यूरोप में महिलाओ ने अपने अधिकार के लिए हड़ताल की जिसका प्रभाव ये पड़ा के सरकार को उनकी बात माननी पड़ी और इसे महिलाओ की जीत का प्रतीक मानकर इस दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। और अब हालत यह है केवल औपचारिकता बन कर रह गया है। जिस प्रकार वेलेंटाइन डे को सेलिब्रेट कर हम बाकि दिनों में प्यार का उपहास उड़ाते हैं उसी प्रकार एक दिन महिला दिवस मनाकर साल भर के लिए  भूल जाते हैं।   
 
      पूरी दुनिया  बात छोड़ देते हैं केवल इंडिया की बात करते हैं जहाँ हर 29 मिनट में एक बलात्कार होता है। देश की 38 % महिलाएं  घरेलु हिंसा की शिकार हैं। इसके अलावा दहेज़ के लिए  हत्या, देह वयापार, ऑनर किलिंग, बाल विवाह जैसी चीज़े मज़बूती के साथ हमारे देश में क़दम जमाये हुए हैं। क्या इन सब को जड़ से मिटाये बगैर महिला दिवस मनाने का कोई फ़ायदा है ?? यदि वास्तव में हम महिलाओ का सम्मान करते हैं तो महिलाओ के प्रति बढ़ते अपराध और सदियो से चलती चली आ रही कुप्रथाओं को समाप्त करना होगा।

5 comments:

  1. ye baat mahlao ko samajhne ki sakht zarrorat h

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  2. Women are victims of different types atrocities.. N suppressed every where.. Due to their bearing attitude..they forget to speak against violence..on this every woman pledge ..no more..!!

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  3. Women are victims of different types atrocities.. N suppressed every where.. Due to their bearing attitude..they forget to speak against violence..on this every woman pledge ..no more..!!

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  4. Women are victims of different types atrocities.. N suppressed every where.. Due to their bearing attitude..they forget to speak against violence..on this every woman pledge ..no more..!!

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